भगवान साकार में आया हुआ है सतयुग (नई दुनिया) आने वाली है,कलयुग (पुरानी दुनिया) जाने वाली है।
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान ने कहा है कि “जब-2 विश्व में धर्म की ग्लानि होती है तो दुष्टों को दंड देने तथा सज्जनों की रक्षा करने के लिए मैं सृष्टि पर आता हूँ |” तो सोचिए, क्या दुनिया की परिस्थिति इतनी नहीं बिगड़ी है कि भगवान को इस धरती पर आने की आवश्यकता हो ? दुनिया में चारों ओर आग-ही-आग दहक रही है | कहीं काम की अग्नि, तो कहीं क्रोध की अग्नि, कहीं मनुष्य प्रकृति का नाश करता आया है और कहीं प्रकृति मनुष्य का नाश कर रही है | क्या सृष्टि का इसी प्रकार पतन होता रहेगा ? क्या इसका परिवर्तन संभव है ?
हाँ, संभव है; किन्तु पतित मनुष्यों द्वारा नहीं; अपितु पतित-पावन, सदा कल्याणकारी परमपिता परमात्मा शिव भगवान द्वारा, जो कि नर्क को स्वर्ग बनाने के लिए भारत भूमि पर दिव्य जन्म ले चुके हैं और सन 1936/37 से इस विश्व-परिवर्तन का कार्य एक साधारण मनुष्य-तन में प्रवेश कर गुप्त रूप से सहज राजयोग कर रहे हैं।