Description, یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡۤا اَطِیۡعُوا اللّٰہَ وَ اَطِیۡعُوا الرَّسُوۡلَ وَ اُولِی الۡاَمۡرِ مِنۡکُمۡ ۚ فَاِنۡ تَنَازَعۡتُمۡ فِیۡ شَیۡءٍ فَرُدُّوۡہُ اِلَی اللّٰہِ وَ الرَّسُوۡلِ اِنۡ کُنۡتُمۡ تُؤۡمِنُوۡنَ بِاللّٰہِ وَ الۡیَوۡمِ الۡاٰخِرِ ؕ ذٰلِکَ خَیۡرٌ وَّ اَحۡسَنُ تَاۡوِیۡلًا ﴿٪۵۹﴾
ऐ ईमान वालो! अल्लाह की इताअत करो और रसूल की इताअत करो और अपने में से ज़िम्मेदारों की, फिर अगर तुम्हारे दरमियान किसी चीज़ में इख़्तिलाफ़ हो जाए तो उसको अल्लाह और रसूल के हवाले कर दो, अगर तुम अल्लाह पर और आख़िरत के दिन पर ईमान रखते हो, यह बात अच्छी है और इसका अंजाम बेहतर है।
Surah nisa:59