आज का पंचांग क्या है?
पंचांग या पञ्चाङ्गम् संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका शब्दशः मतलब है पांच अंगों से युक्त वस्तु। इसलिए, पंचांग इन 5 अनिवार्य अंगों से मिलकर बनता है - तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इसके अलावा हिन्दू कैलेंडर के माध्यम से लोगों को पक्ष, ऋतु एवं माह का भी पता चलता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 12 माह होते हैं और एक माह में दो पक्ष (शुक्ल और कृष्ण पक्ष) होते हैं। जबकि एक पक्ष में 15 तिथियाँ होती हैं। वहीं वैदिक पंचांग में माह और ऋतुओं के नाम अंग्रेज़ी कैलेंडर से भिन्न होते हैं।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माह के नाम
1. चैत्र, 2. वैशाख, 3. ज्येष्ठ, 4. आषाढ़,
5. श्रावण (सावन), 6. भाद्रपद, 7. अश्विन, 8. कार्तिक,
9. मार्गशीर्ष, 10. पौष, 11. माघ, 12. फाल्गुन
हिन्दू पंचांग में ऋतु
आज का पंचांग, नामक इस पेज़ में आप भारतीय ऋतुओं के सबंध में जान सकते हैं। भारत वर्ष एक ऐसा देश हैं जहाँ पर आपको सभी प्रकार की ऋतुएँ मिलती हैं। ऐसा यहाँ की भौगोलिक विविधताओं के कारण संभव हो पाता है। हिन्दू कैलेंडर (हिन्दू पंचांग) के अनुसार भारत में छः ऋतुएँ होती हैं, जिनके नाम क्रमशः इस प्रकार हैं -
1. वसंत ऋतु
2. ग्रीष्म ऋतु
3. वर्षा ऋतु
4. शरद ऋतु
5. हेमंत ऋतु
6. शिशिर ऋतु
तिथि - तिथि को बोलचाल की भाषा में तारीख़ या फिर दिनांक कहते हैं। लेकिन तकनीकी रूप से यह डेट से भिन्न है। क्योंकि हिन्दू पंचांग में एक तिथि 19 से लेकर 24 घंटे तक हो सकती है। लेकिन अंग्रेज़ी तारीखें 24 घंटे के बाद परिवर्तित हो जाती है। कई बार एक दिन में दो तिथियाँ भी होती हैं। परंतु इसमें सूर्योदय की तिथि को मुख्य तिथि माना जाता है। तिथियों के नाम - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्थदशी। शुक्ल पक्ष में पंचदशी तिथि को पूर्णिमा कहते हैं जबकि कृष्ण पक्ष में पंद्रवी तिथि को अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
वार - वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक के समयावधि को एक वार कहा जाता है। बोलचाल की भाषा में वार को दिन भी कहते हैं। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।