भाविनी एन पारिख बहुत रचनात्मक हैं और गुजरात में काफ़ी जाना-माना चेहरा हैं. अपना अपसायकलिंग बिज़नेस Bunko Junko शुरू करने से पहले वे कुकिंग क्लास लेती थीं और लोकल गुजराती चैनल पर क्राफ़्ट का शो भी करती थीं. उन्होंने BN Fashion पर भी काम किया है जो कि गारमेंट मैन्युफ़ैक्चरिंग यूनिट है जहाँ पर वे अपने पति के साथ दुनिया-भर के बड़े ब्रांड्स और हाई एंड डिज़ाइनर्स के कपड़ों को व्हाइट लेबल करते हैं. भाविनी ने देखा कि कपड़े बनाने की प्रोसेस में कपड़े का वेस्टेज बहुत होता है. इसलिए उन्होेंने इसको लेकर कुछ नया करने का सोचा.
2017 में उन्होंने Bunko Junko की शुरुआत की. ये वेस्ट कपड़ों से अपसायकल्ड गारमेंट, फ़र्निशिंग और एक्सेसरीज़ बनाते हैं. ब्रांड का सालाना टर्नओवर ₹45 लाख (लगभग USD 63,000) है.
Bunko Junko जैसे बिज़नेस को बढ़ाने में WhatsApp ने बड़ी भूमिका निभाई है.
भाविनी बताती हैं, “मैं चार सालों से WhatsApp का इस्तेमाल कर रही हूँ. जब मैंने Bunko Junko की शुरुआत की थी, मैं ग्राहकों को WhatsApp से ही फ़ोटो शेयर करती थी. इससे न सिर्फ़ बिक्री होती थी बल्कि फ़ीडबैक भी मिलता था.”
WhatsApp Business ऐप पर स्विच करने से भाविनी को और भी कई फ़ायदे हुए.
भाविनी कहती हैं, “मैंने कारीगरों और ऑपरेशनल स्टाफ़ के साथ लगातार बातचीत करने के लिए अलग-अलग WhatsApp ग्रुप बनाए. बिज़नेस अकाउंट के साथ मैं अप्रूवल भी शेयर करती हूँ. इससे शॉप पर काम में बहुत तेज़ी आई है. WhatsApp Business का इस्तेमाल शुरू करने के बाद से बिक्री 80 प्रतिशत तक बढ़ गई. कभी-कभी हमें ग्राहक Bunko Junko के WhatsApp अकाउंट पर डिस्प्ले पिक्चर पर प्रोडक्ट देखकर ही उसके ऑर्डर दे देते हैं.”
भाविनी कहती हैं कि बिज़नेस को बढ़ावा देने के लिए हम अगली पीढ़ी पर निर्भर नहीं रह सकते. “हमारा यही मिशन है. क्योंकि इसी में हमारा भविष्य है.”