गुनावथी चंद्रशेखरन को दो साल की उम्र में पोलियो हो गया था. “मैं बिना सहारे के दो-चार कदम भी नहीं चल पाती थी.”
गुनावथी को हाथ से बनाई कलाकृति, विशेष रूप से क्विल्लिंग करके मन को शांति मिलती थी. आज वे तमिलनाडु के डिंडिगुल जिले के चिन्नालापट्टी गाँव की एक अवार्ड विजेता लघु-उद्यमी हैं. उनके द्वारा बनाए गए विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट और उनकी कलात्मकता ने कई लोगों को प्रभावित किया और जो शुरुआत जुनून के तौर पर हुई थी वह जल्द ही Guna's Quilling नाम के बिज़नेस में बदल गई.
इन-बाउंड ऑर्डर्स के अलावा उन्होंने हाथ से बने प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनियों में भाग लेना शुरू कर दिया. वे अपने प्रोडक्ट सोशल मीडिया और अपनी ई-कॉमर्स वेबसाइट के माध्यम से भी बेचती हैं. “लेकिन मेरा 50 प्रतिशत बिज़नेस WhatsApp रेफ़रल और ऐसे ग्राहकों के माध्यम से आता है जो एक बार मुझसे पहले सामान ले चुके हैं.”
गुनावथी ने लगभग दो साल पहले अपने बिज़नेस के लिए WhatsApp का इस्तेमाल करना शुरू किया. तब से वे अपनी प्रोफ़ाइल फ़ोटो के माध्यम से अपने बिज़नेस को बढ़ाने में लगी हैं. “मैं अपने क्राफ़्ट की फ़ोटो को हर दिन अपनी प्रोफ़ाइल फ़ोटो की जगह लगाती हूँ और उसे देखकर लोग मुझसे कई सवाल पूछते हैं. आज-कल मैं “स्टेटस” फ़ीचर का इस्तेमाल करके भी जितनी चाहूँ उतनी फ़ोटो अपलोड कर सकती हूँ. ऐसा भी हुआ है कि जिस प्रोडक्ट की फ़ोटो अपलोड की थी वह तुरंत बिक गया.”
गुनावथी ज़्यादा ऑर्डर पाने के लिए “ब्रॉडकास्ट” और “ग्रुप” फ़ीचर का भी इस्तेमाल करती हैं. वे कहती हैं, “WhatsApp का इस्तेमाल करके बिज़नेस में 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.
हमारा टर्नओवर 5 लाख रुपये का है.” “Guna's Quilling या क्विल्लिंग की कला सिर्फ़ मेरे लिए कमाई का एकमात्र ज़रिया नहीं है. मैं इसके ज़रिए महिलाओं और दिव्यांगों को ऐसी कला सिखाने में मदद करना चाहती हूँ जिसे सीख कर उनके लिए जीवन में संभावनाओं के द्वार खुल जाएँ.”