हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है. छोटी-बड़ी चीज़ें - चाहे लंचबॉक्स हो या मशीनें- सभी बनाने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उस प्लास्टिक को फिर से इस्तेमाल करने के बारे में ज़्यादा लोग नहीं सोचते हैं.
पिछले दस सालों में लोगों की सोच में काफ़ी बदलाव आया है. लोग प्लास्टिक को रीसाइकल, रीयूज़ और रिड्यूस करने के महत्व को समझने लगे हैं. इसी प्रयास की ओर अग्रसर कंपनी Lucro ने इस समस्या का समाधान निकाला है.
2012 के शुरूआती दिनों में उज्ज्वल देसाई, सौमिल देसाई और अभिजीत पारेख ने इस बात को जान लिया कि कई मोटर वाहन निर्माताओं द्वारा बेचे जाने वाले प्रोडक्ट जागरूकता और इंफ़रास्ट्रकचर की कमी के कारण कबाड़ में फ़ेक दिए जाते हैं जबकि वे आराम से रीसाइकल हो सकते हैं. इसी वजह से Lucro नाम की कंपनी का निर्माण हुआ. इस कंपनी ने इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक को रीसाइकल करने के लिए प्रक्रिया बनाई. यह कंपनी इस्तेमाल किए गए प्रोडक्ट के उपयोग हो जाने के बाद पूर्वनिर्धारित दाम पर वापस खरीद लेती है. फिर इस कबाड़ प्लास्टिक के प्लास्टिक बैग बनाए जाते हैं.
गाड़ी-इंडस्ट्री की सबसे बड़ी समस्या को Lucro ने हल कर दिया. काफ़ी निर्माताओं का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ. उनका बिज़नेस फैलने लगा, लेकिन उन्हें कम पढ़े-लिखे लोगों के साथ बातचीत करने में दिक्कत आने लगी. यहाँ WhatsApp Business ऐप मददगार साबित हुआ.
उज्ज्वल का कहना है, “हम शुरू से ही WhatsApp का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह कचरा बीनने वालों, कबाड़ के डीलर्स, कबाड़ के एग्रीगेटर और इससे जुड़े अन्य सभी लोगों से बातचीत करने का एक आसान माध्यम था और इससे हमें बहुत मदद मिली है. हम साल दर साल तरक्की करते गए और इसका सबसे बड़ा श्रेय WhatsApp Business ऐप को जाता है. लोगों तक जानकारी पहुँचाना बहुत ही आसान है और इससे हमें काफ़ी मदद मिली है. मैं कह सकता हूँ कि रद्दी खरीदने और बेचने का काम WhatsApp Business के ज़रिए ही किया जाता है.”