जब सांबवी सुब्बियन अपने परिवार के साथ अमेरिका में रहने गईं, तो उन्हें वहाँ गहने बनाने वाले टूल्स और मटीरियल आसानी से मिल गए जिसकी वजह से उन्होंने Navrabeads की शुरुआत की.
शौकिया शुरू किए गए इस काम ने जल्दी ही बिज़नेस का रूप ले लिया. 2014 में जब सांबवी के परिवार को फिर से भारत आना पड़ा तो उन्हें एहसास हुआ कि गहने बनाने वाले टूल्स और मटीरियल का सेक्टर यहाँ बिखरा हुआ है और यहाँ किसी ऐसी पेशेवर कंपनी की ज़रूरत है, जो अच्छी क्वॉलिटी और सही कीमत पर कच्चा माल और बढ़िया कस्टमर सपोर्ट दे सके.
हाथ से बने गहने, गहनों की एक्सेसरी और टूल्स के क्षेत्र में Navrabeads का अच्छा-खासा नाम बन गया है. इस बिज़नेस का टर्नओवर 75 लाख रुपए है.
सांबवी कहती हैं, “हम दो लोगों ने इस बिज़नेस की शुरुआत अपार्टमेंट के छोटे से कमरे से की और 1 लाख रुपए निवेश किए. हमारे पास पहले महीने में 100 से ज़्यादा SKU (स्टॉक कीपिंग यूनिट) और 50 ग्राहक थे. आज हमारी टीम में 10 लोग हैं और साथ ही 5,000 से ज़्यादा SKU और 18,000 ग्राहक हमसे जुड़े हैं. हमने 2018 में चेन्नई में अपना पहला रिटेल स्टोर (दुकान) भी खोला.”
Navrabeads की इस तरक्की के सफ़र में WhatsApp ने बहुत मदद की है. सांबवी बताती हैं, “जब हमने भारत में शुरुआत की, तो हमें अधिकतर बिज़नेस Facebook और WhatsApp से ही आता था. चूँकि हमारे बहुत से ग्राहक अमेरिका में ही थे, हमने बातचीत और कस्टमर सपोर्ट के लिए WhatsApp को अपना मीडियम बनाया. कुछ समय बाद हमने भारत में भी अपने ग्राहकों के लिए इसका इस्तेमाल शुरू किया.”
आज Navrabeads की लगभग 25 प्रतिशत आय WhatsApp से आती है. WhatsApp Business ऐप का इस्तेमाल करने से ग्राहकों के साथ बातचीत करना बहुत ही आसान हो गया है.
सांबवी कहती हैं, “हम WhatsApp के फ़ीचर्स जैसे कि ऑटोमेटेड ग्रीटिंग, अवे मैसेज, बिज़नेस का एड्रेस, खुलने-बंद होने का समय आदि का बहुत इस्तेमाल करते हैं. लेबल फ़ीचर्स जैसे कि ‘पेंडिंग पेमेंट’, ‘ऑर्डर किया गया’ आदि का इस्तेमाल मैसेज को छाँटने और उन्हें ट्रैक करने के लिए किया जाता है. दुकानदारों और ग्राहकों से बात करने के लिए हम ब्रॉडकास्ट फ़ीचर का इस्तेमाल करते हैं.”