अफ़रोज़ शाह मुंबई का एक युवा भारतीय वकील है, जिसका नाम दुनिया के सबसे बड़े समुद्र तट की सफाई परियोजना का पर्याय बन गया है. 2016 में, UN ने मुंबई के वर्सोवा समुद्र तट की सफाई में उनके काम के लिए अफ़रोज़ को उनके सर्वोच्च पर्यावरणीय पुरस्कार, द चैंपियंस ऑफ़ द अर्थ के अवार्ड से सम्मानित किया था.
पिछले तीन साल से, अफ़रोज़ खुद वर्सोवा बीच से कचरा उठाकर और ग्रामीणों और तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को स्थायी अपशिष्ट पदार्थों के बारे में शिक्षा दे रहे हैं और उनके साथ आगे इसमें आगे बढ़ रहे हैं.
देखते-देखते आंदोलन आगे बढ़ गया है, तीन सालों से 70,000 से अधिक वयस्क और 60,000 छात्र एक साथ कूड़े से समुद्र तट को छुटकारा दिलाने में मदद कर रहे हैं. स्वयंसेवकों में बढ़ोत्तरी काफी हद तक सोशल मीडिया पर अफ़रोज़ की कोशिशों के कारण हुई है, जिनमें से WhatsApp एक प्रमुख माध्यम है, जिसका इस्तेमाल सभी संप्रदायों और सामाजिक स्तर पर किया जाता है - विशेष रूप से सफाई की तारीखों, समय और स्थान के बारे में बताने के लिए. सफाई का विवरण भेजने के लिए अफ़रोज़ ने ब्रॉडकास्ट लिस्ट को अपने पसंदीदा फ़ीचर के रूप में चुना है, जो तब फैलता है जब प्राप्तकर्ता अपने संपर्कों और ग्रुप को संदेश भेजते हैं.
अफ़रोज़ WhatsApp ग्रुप्स का इस्तेमाल सफाई से जुड़े विभिन्न कोर ग्रुप्स के साथ समन्वय उपकरण के रूप में भी करता है. इनमें नागरिक निकाय, कॉर्पोरेट और एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सबिलिटी (EPR) ग्रुप शामिल हैं.
अभियान को सबसे बड़ा मेहनताना तब मिला जब बीच पर ऑलिव रिडले कछुए के बच्चे मिले. वर्सोवा समुद्र तट के दक्षिणी छोर पर कम से कम 80 ऑलिव रिडले कछुए नेस्ट से अरब सागर की ओर जा रहे थे.
इस आंदोलन से न केवल निर्णय लेने वालों का ध्यान समुद्री कूड़े पर गया है, बल्कि यह बीच को वापस पाने की शुरुआत है, बीच पर हर महीने कम से कम कचरा दिखाई दे रहा है.