न्यूयॉर्क के ‘स्कूल ऑफ़ विजुअल आर्ट्स’ की पूर्व-विद्यार्थी लीना केजरीवाल कहती हैं, “हमारा पुश्तैनी घर कोलकाता के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया ‘सोना गाछी’ के पास था. हालाँकि मुझे उसके बारे में पता था लेकिन मैं फ़ोटोग्राफ़ी करने के लिए पहली बार रेड लाइट एरिया में गई.”
“तब मुझे महसूस हुआ कि अगर मेरी कला से वाकई वह प्रभाव पड़ना चाहिए, जो मैं चाहती हूँ, तो मुझे उसे ऐसे सरल और आकर्षक तरीके से बनाना होगा, जो सबको समझ में आए. यह उन दिनों की बात है जब मेरा पब्लिक आर्ट प्रोजेक्ट MISSING शुरू हुआ था.”
भारत में MISSING, इंडिया आर्ट फ़ेयर 2014 में लॉन्च किया गया और तब से लीना जवान लड़कियों की सेक्स ट्रैफ़िकिंग को लेकर समर्थन जुटाने और जागरूकता पैदा करने के लिए सफल क्राउडफंडिंग कैंपेन चला रही हैं. 2015 में उन्होंने एक नॉन-प्रॉफ़िट संस्था, theMissingLink Trust शुरू की, जो कि मानव तस्करी के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करती है.
इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए वे कलाकृतियों, महिलाओं के लिए स्टेंसिल अभियान, MISSING म्यूरल वॉक और पदयात्रा जैसे कार्यक्रम आयोजित करते हैं. ट्रस्ट ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम और वर्कशॉप भी आयोजित करता है.
अब तक वे 14 शहरों के 75,000 लोगों और ग्रामीण जागरूकता कार्यक्रमों के अंतर्गत 46,000 किशोरों तक अपनी बात पहुँचा चुके हैं. 40 से ज़्यादा शहरों में 5,000 स्टेंसिल बनाए गए हैं और शहरी जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत 40,000 विद्यार्थियों को जागरूक किया गया है. ट्रस्ट, पीरियड्स के दौरान साफ़-सफ़ाई के बारे में भी जागरूकता पैदा करता है और 300 से ज़्यादा शौचालय बनाने में भी उन्होंने मदद की है.
इतने सारे अभियानों के चलते संचार बहुत महत्वपूर्ण है. खास इसलिए कि नॉन-प्रॉफ़िट ग्रामीण क्षेत्रों में काम करता है. “WhatsApp ग्रुप, ऑडियो और वीडियो कॉलिंग से हमें एक-दूसरे तक पहुँचने में काफ़ी मदद मिली है क्योंकि आजकल लगभग सभी के पास स्मार्टफ़ोन हैं. रोज़ के अपडेट और प्रगति के बारे में चर्चा करने, काम संबंधी फ़ाइलें शेयर करने और समीक्षा कॉल के लिए हमारे अलग-अलग WhatsApp ग्रुप हैं.”
“हमने अपने क्राउडफंडिंग अभियान में WhatsApp का बहुत इस्तेमाल किया है. इस पहले अभियान की सफलता के बाद हम में इस संवेदनशील मुद्दे को जनता तक पहुँचाने का विश्वास बढ़ा.”