राजस्थान के छोटे से कस्बे में रहने वाले 53 साल के राधा किशन सोनी, रिटायर हो चुके हैं और उनके दो बच्चे भी हैं. उनके लिए पिछले 2 महीने काफ़ी बदलाव भरे रहे. राधा किशन अपने जीवन में ज़्यादातर समय, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने से बचते रहे हैं. उन्हें ATM जाने की बजाय बैंक जाना, डिजिटल पेमेंट करने की जगह कैश इस्तेमाल करना और TV देखने की बजाय रेडियो पर समाचार सुनना ही पसंद रहा है.
ऐसा COVID-19 महामारी आने से पहले तक ही था.
"मुझे डायबिटीज़ है और मैं सीनियर सिटिज़न भी हूँ, इसका मतलब यह है कि मैं हाई-रिस्क ग्रुप में हूँ. राधा किशन ने कहा, "जब लॉकडाउन में थोड़ी राहत हुई, तो ज़रूरी चीज़ें जैसे कि किराने का सामान (ग्रोसरी) खरीदने के लिए मुझे घर से बाहर निकलना पड़ता था और मैं कोशिश करता था कि कम से कम चीज़ों को छुआ जाए."
कोरोना के खतरे को कम करने के लिए राधा किशन के बेटे प्रतीक ने उन्हें WhatsApp के पेमेंट फ़ीचर के बारे बताया. प्रतीक ने अपने पिता को ऐप पर अकाउंट डीटेल्स सेटअप करना और उससे ट्रांज़ेक्शन करना सिखाया.
उन्होंने कहा, "मेरे पास स्मार्टफ़ोन होने के बावजूद भी मैं इसका इस्तेमाल सिर्फ़ कॉल करने और WhatsApp पर मैसेज भेजने के लिए ही करता था. जब प्रतीक ने मुझे WhatsApp के पेमेंट फ़ीचर के बारे में बताया, तो मैं इसका इस्तेमाल करने के लिए बहुत उत्साहित था." उनका कहना है, "मुझे नहीं लगता था कि मैं डिजिटल पेमेंट कर पाउँगा. फिर, जब मैंने पहली बार प्रतीक को 100 रुपये भेजे, तब मुझे यह बहुत आसान लगा." उन्होंने हँसते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "उसके बाद मुझे किसी बात की चिंता नहीं रही….इसकी मदद से मेरे लिए सब आसान हो गया". उन्होंने कहा कि WhatsApp के जाने-पहचाने इंटरफ़ेस की वजह से उन्हें इसका इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत नहीं हुई.
राधा किशन ने बताया, "पहले मैं बैंक की लंबी-लंबी लाइनों में लगकर अपनी बारी आने के इंतज़ार में एक या दो घंटे बिता दिया करता था. अब, वे पैसे का ट्रांसफर करने और किसी को पेमेंट करने जैसे काम अपने फ़ोन से ही कर लेते हैं. इससे न सिर्फ़ उनका समय और उनकी एनर्जी बची, बल्कि इसने उन्हें COVID-19 से भी बचाए रखा. उनका कहना है, "जब से मैंने WhatsApp पर पेमेंट करना शुरू किया है, तब से मेरा काफी समय बचने लगा है. अब मैं किताबें पढ़कर या अपने बड़े बेटे के साथ दुकान पर ये समय बिताता हूँ. मुझे यह एहसास बहुत अच्छा लगता है."
घर से बाहर जाकर उन्हें किसी भी चीज़ को छूने की ज़रूरत नहीं पड़ती, अब वे बेफ़िक्र होकर किराने की दुकान पर भी जा सकते है. साथ ही, WhatsApp के पेमेंट फ़ीचर की मदद से UPI QR कोड* स्कैन करके वेंडर को आसानी से पेमेंट कर सकते हैं. अब तो वे अपने दोस्तों के साथ चाय की दुकान पर गपशप करने के बाद, चाय वाले को भी WhatsApp पेमेंट से ही पैसे देते हैं. राधा किशन ने अपने दोस्तों के साथ-साथ अपने बड़े बेटे ललित को भी WhatsApp पेमेंट का इस्तेमाल करने के लिए राज़ी कर लिया है. "वह (ललित) भी बिल्कुल मेरे जैसा ही है, जिसे टेक्नोलॉजी में कोई दिलचस्पी नहीं है. मैंने उससे कहा कि 'जब कोई 50 साल का होकर सीख सकता है, तो तुम क्यों नहीं?'"
*ध्यान दें: WhatsApp का पेमेंट फ़ीचर, फ़िलहाल WhatsApp Business ऐप पर उपलब्ध नहीं है.