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  • WhatsApp पर नई कम्युनिटी शुरू करते समय या कम्युनिटी में अपने ग्रुप को जोड़ते समय ध्यान रखने लायक खास बातें.

    • 100: अपनी कम्युनिटी सेट अप करना
    • 101: एक सुरक्षित कम्युनिटी बनाना
    • 102: एक अच्छा कम्युनिटी एडमिन बनना
    • 103: अपनी कम्युनिटी को एंगेज करके कैसे बढ़ाएँ
  • अपनी कम्युनिटी को बेहतर एक्सपीरियंस देने के लिए, एडमिन और सदस्यों के साथ मिलकर काम करें.

    • 200: सीमाएँ सेट करना और कम्युनिटी में अच्छा माहौल बनाए रखना
    • 201: विवादों को मैनेज करना और सबको साथ लेकर चलना
    • 202: कम्युनिटी के नियमों को लागू करना और मुश्किलें पैदा करने वाले सदस्यों को मैनेज करना
    • 203: एक से ज़्यादा एडमिन वाली कम्युनिटी के लिए भूमिकाएँ मैनेज और असाइन करना
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    • जानें कि अलग-अलग सेक्टर्स से जुड़े लोग कैसे अपनी कम्युनिटी को बढ़ाने के लिए WhatsApp का इस्तेमाल कर रहे हैं.

      • शिक्षा
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      • स्वास्थ्य

    शिक्षा

    10 मिनट में पढ़ें

    एक छोटे-से स्कूल की मुखिया के तौर पर प्रिया क्लास टीचर्स, पेरेंट्स और स्टूडेंट्स के साथ कनेक्ट करने के लिए ऐसा तरीका चाहती हैं, जो मैनेज करने में आसान हो और जिससे कम्युनिटी की भावना मज़बूत हो. वह अलग-अलग ग्रुप्स को ईमेल भेज-भेज कर थक चुकी हैं. वह इस बात को लेकर भी परेशान रहती हैं कि उनके ज़्यादातर ईमेल्स को लोग खोलते ही नहीं हैं. वह ज़्यादातर पेरेंट से नियमित तौर पर मिलती हैं. हालाँकि, प्रिया उन पेरेंट्स को लेकर ज़्यादा चिंतित रहती हैं, जिनसे वह मिल नहीं पातीं. क्या उन्हें अपने बच्चों के लिए उपलब्ध अवसरों के बारे में जानकारी है? क्या वे स्कूल असेंबली के बारे में दी गई जानकारी पढ़ते हैं? क्या पेरेंट्स के लिए प्रिया या उनकी टीम से संपर्क करना मुश्किल है?

    प्रिया, हाईस्कूल में पढ़ाने वाले अपने सहकर्मियों से मिलती हैं. उनके सहकर्मियों का कहना है कि स्कूल में होने वाली एक्टिविटीज़ के बारे में ज़्यादातर पेरेंट्स उनसे सीधे संपर्क करते हैं. उन्हें अलग-अलग पेरेंट्स से एक ही विषय पर कई बार बातचीत करनी पड़ती है. इस दौरान, ज़्यादातर स्टूडेंट्स को आने वाले टेस्ट्स के बारे में लगातार रिमाइंडर्स भेजने पड़ते हैं, कुछ स्टूडेंट्स पीछे चल रहे हैं, तो कुछ स्टूडेंट्स स्कूल नहीं आ सकते. टीचर्स, हर क्लास के लिए अलग ग्रुप बनाने की संभावना को लेकर उत्साहित हैं. वे पेरेंट्स और स्टूडेंट्स के साथ कम्युनिकेट करने का एक बेहतर तरीका चाहते हैं. ऐसा तरीका जिसमें छोटे स्टडी ग्रुप्स सेट अप किया जा सकें, ताकि बच्चों की पढ़ाई और दोस्ती को आगे बढ़ाने का मौका मिले.

    कई तरह के ऑप्शंस पर विचार करने के बाद, प्रिया ने पाया कि WhatsApp कम्युनिटी एक बढ़िया समाधान हो सकता है. इससे वह न सिर्फ़ सहकर्मियों, पेरेंट्स और स्टूडेंट्स के साथ कम्युनिकेशंस को स्ट्रीमलाइन कर पाएँगी, बल्कि इससे उन्हें बच्चों को एंगेज रखने और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें सपोर्ट देने का भी एक अच्छा तरीका मिलेगा. WhatsApp इस्तेमाल में आसान है और इससे कनेक्ट करने के लिए उन्हें अलग से कोई ट्रेनिंग नहीं लेनी होगी.

    • अपनी कम्युनिटी सेट अप करने से पहले, उसके उद्देश्य के बारे में ज़रूर सोचें. क्या वह स्कूल एक्टिविटी से जुड़े अपडेट्स शेयर करने के लिए होगी, स्टूडेंट और स्टाफ़ के सपोर्ट के लिए होगी, जाने-माने तरीकों से जुड़ी जानकारी और टीचिंग मैटेरियल शेयर करने के लिए होगी या फिर किसी और काम के लिए होगी? आपका उद्देश्य स्पष्ट होने पर आप यह तय कर पाएँगे कि कम्युनिटी में किन मेंबर्स को शामिल किया जाए और उन्हें किन ग्रुप्स में रखा जाए. आप अपनी कम्युनिटी में ऐसे ग्रुप्स को बना या जोड़ सकते हैं:

      • ग्रेड या विषय के अनुसार टीचर्स;
      • नॉन-टीचिंग स्टाफ़;
      • अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम कर रहे लोग;
      • क्लास या ग्रेड के अनुसार पेरेंट्स;
      • क्लास वाले ग्रुप जिसमें टीचर्स ग्रुप एडमिन हों;
      • स्पोर्ट्स टीम्स या ऐसी अन्य एक्टिविटीज़ से जुड़े स्टूडेंट्स.

      कम्युनिटी का उद्देश्य स्पष्ट होने से आपकी एडमिन टीम और सदस्यों को यह समझने में मदद मिलती है कि क्यों कुछ ग्रुप्स को शामिल किया गया है और क्यों कुछ को शामिल नहीं किया गया है. उदाहरण के लिए, अगर आपका उद्देश्य स्कूल से जुड़े अपडेट्स शेयर करना है, तो आप स्कूल के फ़ुटबॉल प्लेयर्स के उन पेरेंट्स के ग्रुप को अपनी कम्युनिटी में शामिल कर सकते हैं, जो इक्विपमेंट और ट्रेनिंग शेड्यूल्स की जानकारी शेयर करते हैं. हालाँकि, उन पेरेंट्स के ग्रुप को शामिल करने से आपकी कम्युनिटी को फ़ायदा नहीं होगा, जो किसी खास सामाजिक विषय को लेकर जुड़े होते हैं.

      कुछ ग्रुप्स के सदस्य – जैसे कि क्लास ग्रुप्स – हर साल बदल सकते हैं. ऐसे मामले में, पुराने ग्रुप को हटाकर नए ग्रुप को शामिल करना ज़्यादा आसान रहेगा. अन्य ग्रुप्स, जैसे कि स्पोर्ट्स टीम्स, स्टडी या प्रोजेक्ट से जुड़े ग्रुप्स को कम अंतराल पर जोड़ना और हटाना ज़रूरी हो सकता है. पेरेंट एसोसिएशंस या नॉन-टीचिंग स्टाफ़ जैसे ग्रुप्स में ज़्यादा हलचल नहीं होती. बस इनमें समय-समय पर कुछ सदस्यों को जोड़ा और हटाया जाता है. अगर ज़्यादातर ग्रुप्स को हर साल हटाने की ज़रूरत पड़े, तो कम्युनिटी को ही डीएक्टिवेट करना और एक नई कम्युनिटी बना लेना ज़्यादा आसान हो सकता है.

    • सकारात्मक माहौल बनाए रखना आपकी कम्युनिटी की भलाई के लिए ज़रूरी होता है. टीचर्स, पेरेंट्स या स्टूडेंट्स, चाहे आप किसी से भी बातें कर रहे हों, WhatsApp पर अपनी कम्युनिटी के लिए आचार संहिता बनाना बेहतर होगा. इसमें कई नियम, सिद्धांत और मूल्य शामिल होते हैं. इनसे आपकी कम्युनिटी को ऐसे व्यवहारों और कंटेंट को समझने में मदद मिलती है जिनकी कम्युनिटी में परमिशन होती है या मनाही होती है.

      शिक्षा के क्षेत्र में, कुछ ऐसे जोखिम होते हैं जिन पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी होता है. कम्युनिटी और ग्रुप के एडमिन, दोनों के लिए इन बातों के बारे में स्पष्ट गाइडलाइन तैयार करना ज़रूरी होता है:

      • कम उम्र वाले स्टूडेंट्स - WhatsApp पर रजिस्टर करने और इसका इस्तेमाल करने के लिए स्टूडेंट्स का कम से कम 13 साल का होना ज़रूरी है. वहीं, यूरोपीय क्षेत्र में स्टूडेंट्स की उम्र 16 साल या इससे ज़्यादा होनी ज़रूरी है. यह ज़रूरी है कि आप WhatsApp पर कोई ऐसी कम्युनिटी न बनाएँ, जिसमें इससे कम उम्र के स्टूडेंट्स शामिल हों. कम उम्र के स्टूडेंट्स आपकी कम्युनिटी में शामिल न हो सकें, इसके लिए अपनी एडमिन टीम के साथ मिलकर काम करना बहुत ज़रूरी होता है. कम उम्र वाले बच्चों के अकाउंट्स का पता चलने पर, तुरंत उन्हें ग्रुप से हटा दें और WhatsApp से उनकी रिपोर्ट करें.
      • ग्रुप आमंत्रण लिंक और नए सदस्य - जहाँ क्लास और पेरेंट ग्रुप्स लगातार बदलते रहते हों, वहाँ आमंत्रण लिंक बेहद उपयोगी हो सकते हैं. हालाँकि, लिंक को ईमेल या प्राइवेट मैसेज के ज़रिए ग्रुप के सही सदस्यों को ही भेजा जाना चाहिए. साथ में यह चेतावनी भी होनी चाहिए कि इस लिंक को किसी और कॉन्टैक्ट को फ़ॉरवर्ड न किया जाए. अपनी कम्युनिटी में अनजान कॉन्टैक्ट्स की निगरानी करने और उन्हें तुरंत हटाने के लिए, कम्युनिटी और ग्रुप के एडमिन के साथ मिलकर काम करें.
      • धमकाना - अफ़वाह फ़ैलाने से लेकर अश्लील फ़ोटो डालने और सीधे धमकी देने तक, किसी को कई तरह से डराया या धमकाया जा सकता है. लोग ऐसे बर्ताव की रिपोर्ट करने के लिए सामने आएँ, इसके लिए बेहतर होगा कि नियमित रूप से घोषणाएँ पोस्ट की जाएँ. यह साफ़ तौर पर बताएँ कि धमकी देने की वजह से सदस्य को कम्युनिटी से हटाया जा सकता है. साथ ही, आपके स्कूल की पॉलिसी के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है.
      • बाल शोषण - जिस मामले में 18 साल से कम उम्र के नाबालिग शामिल हों, किसी भी तरह की यौन संबंधी बातचीत WhatsApp पॉलिसी के खिलाफ़ है और ज़्यादातर देशों में गैर-कानूनी भी है. यह बात ऐसी स्थिति में भी लागू होती है, जब अश्लील फ़ोटो शेयर करने वाले खुद नाबालिग हों और वह फ़ोटो उन्हीं की हो. इस तरह का कंटेंट तुरंत डिलीट कर दिया जाना चाहिए. अगर आपको या आपकी एडमिन टीम को ऐसा कोई कंटेंट दिखता है जिससे पता चलता हो कि किसी बच्चे के साथ दुर्व्यवहार या उत्पीड़न हो रहा है, तो पुलिस और नेशनल सेंटर फ़ॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (NCMEC) या इंटरनेशनल सेंटर फ़ॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (ICMEC) से संपर्क करें. साथ ही, उस यूज़र को तुरंत ब्लॉक और रिपोर्ट करें.

      ग्रुप में सदस्यों को कैसे शामिल करें और उन्हें कैसे हटाएँ

    • शिक्षा से जुड़ी कम्युनिटी में, कम्युनिटी और ग्रुप एडमिन को नियुक्त करने, एडमिन टीम के साथ को-ऑर्डिनेट व कम्युनिकेट करने और ग्रुप्स के मैनेजमेंट के लिए ग्रुप एडमिन की ज़िम्मेदार तय करने के लिए एक स्पष्ट फ़्रेमवर्क होना चाहिए.

      कम्युनिटी एडमिन को चुनते समय, ऐसे लोगों को चुनना अच्छा होता है, जिनकी आपकी कम्युनिटी के प्रति कुछ औपचारिक ज़िम्मेदारी होती है – जैसे कोई टीचर या स्टाफ़ मेंबर. इस दौरान, उन स्किल्स और जानकारी की ऐक्सेस पर ध्यान दें, जिनकी ज़रूरत एडमिन को यह पक्का करने के लिए पड़ेगी कि पूरी कम्युनिटी में कम्युनिकेशन सदस्यों के लिए असरदार और उपयोगी है.

      स्टाफ़ और पेरेंट वाले ग्रुप्स को मैनेज करने के लिए ऐसे ग्रुप एडमिन को नियुक्त करें:

      • जो आचार संहिता को लेकर प्रतिबद्ध हो;
      • जिनका बर्ताव दोस्ताना व सामाजिक हो और जो अलग-अलग परिस्थितियों में खुद को ढाल सकें;
      • जो ग्रुप मैनेज करने के लिए समय देने के लिए तैयार हो;
      • जो दूसरे एडमिन के साथ नियमित रूप से कम्युनिकेट करने और मिलने के लिए तैयार हो.

      18 साल से कम उम्र के स्टूडेंट्स वाले क्लास ग्रुप्स के लिए टीचर्स को ग्रुप एडमिन बनाना चाहिए. अगर और छोटे स्टडी या प्रोजेक्ट ग्रुप्स की ज़रूरत है, तो टीचर:

      • पक्का कर सकते हैं कि वे हर ग्रुप के एडमिन हों;
      • को-ग्रुप एडमिन के तौर पर एक स्टूडेंट को नियुक्त कर सकते हैं;
      • समय-समय पर स्टूडेंट ग्रुप को-एडमिन के साथ बात करें, ताकि समस्या होने पर चर्चा की जा सके. साथ ही, उन्हें आचार संहिता के बारे में याद दिलाएँ;
      • इस बात के लिए प्रेरित कर सकते हैं कि कोई समस्या होने पर स्टूडेंट्स, टीचर्स को टैग करके या उन्हें निजी रूप से मैसेज भेजकर बताएँ.
    • अपनी कम्युनिटी को एंगेज रखने के लिए, यह पक्का करना ज़रूरी है कि घोषणाओं वाले ग्रुप में उपलब्ध कराई गई जानकारी सभी सदस्यों के लिए ज़रूरी और काम की हो. इसमें इन विषयों पर घोषणाएँ शामिल हो सकती हैं:

      • असेंबली या ईवेंट्स;
      • छुट्टियाँ और अवकाश;
      • स्टाफ़ अपॉइंटमेंट या ट्रांज़िशंस;
      • पाठ्यक्रम में बदलाव;
      • फ़ीडबैक सर्वे.

      कम्युनिटी के अलग-अलग ग्रुप्स के उद्देश्यों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. उनके उद्देश्यों के आधार पर, आप उनकी बातचीत के फ़ॉर्मेट, उसकी फ़्रीक्वेंसी और कंटेंट के संबंध में ग्रुप एडमिन को गाइड करने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर सकते हैं. यह इन सब के लिए उपयोगी हो सकता है:

      • ईवेंट्स और ट्राई-आउट्स जैसे अवसरों के बारे में पेरेंट्स और स्टूडेंट्स को घोषणाएँ भेजना;
      • वॉलंटियर्स जुटाने, टीचर्स से मिलने को उन्हें आमंत्रित करने या उनके अक्सर पूछे जाने वाले सवालों का जवाब देने के लिए, क्लास पेरेंट ग्रुप्स में मैसेज भेजना;
      • क्लास ग्रुप्स को एजुकेशनल वीडियो, होमवर्क डॉक्यूमेंट या परीक्षा टाइमटेबल के बारे में रिमाइंडर भेजना.

      कम्युनिटी और ग्रुप एडमिन के लिए अच्छा रहता है कि सदस्यों को जो जानकारी काम की लगती है, उसके बारे में फ़ीडबैक लें. साथ ही, उन्हें यह भी फ़ीडबैक लेना चाहिए कि सदस्य और किस तरह की जानकारी चाहते हैं. कम्युनिटी और ग्रुप एडमिन यह बात सिर्फ़ एडमिन वाले ग्रुप में भी शेयर कर सकते हैं कि उनके हिसाब से कौन-सी चीज़ अच्छा काम कर रही है और कौन-सी नहीं. वे उस ग्रुप में इस बारे में भी बात कर सकते हैं कि बातचीत को ज़्यादा उपयोगी बनाने के लिए किन ग्रुप्स को शामिल किया जा सकता है या हटाया जा सकता है. साथ ही, यह भी तय किया जा सकता है कि कोई घोषणा ग्रुप में बेहतर तरीके से हैंडल की जाएगी या कम्युनिटी लेवल में.

    203: एक से ज़्यादा एडमिन वाली कम्युनिटी के लिए भूमिकाएँ मैनेज और असाइन करना' पर जाएँ
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