अपनी कम्युनिटी सेट अप करने से पहले, उसके उद्देश्य के बारे में ज़रूर सोचें. क्या वह स्कूल एक्टिविटी से जुड़े अपडेट्स शेयर करने के लिए होगी, स्टूडेंट और स्टाफ़ के सपोर्ट के लिए होगी, जाने-माने तरीकों से जुड़ी जानकारी और टीचिंग मैटेरियल शेयर करने के लिए होगी या फिर किसी और काम के लिए होगी? आपका उद्देश्य स्पष्ट होने पर आप यह तय कर पाएँगे कि कम्युनिटी में किन मेंबर्स को शामिल किया जाए और उन्हें किन ग्रुप्स में रखा जाए. आप अपनी कम्युनिटी में ऐसे ग्रुप्स को बना या जोड़ सकते हैं:
- ग्रेड या विषय के अनुसार टीचर्स;
- नॉन-टीचिंग स्टाफ़;
- अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम कर रहे लोग;
- क्लास या ग्रेड के अनुसार पेरेंट्स;
- क्लास वाले ग्रुप जिसमें टीचर्स ग्रुप एडमिन हों;
- स्पोर्ट्स टीम्स या ऐसी अन्य एक्टिविटीज़ से जुड़े स्टूडेंट्स.
कम्युनिटी का उद्देश्य स्पष्ट होने से आपकी एडमिन टीम और सदस्यों को यह समझने में मदद मिलती है कि क्यों कुछ ग्रुप्स को शामिल किया गया है और क्यों कुछ को शामिल नहीं किया गया है. उदाहरण के लिए, अगर आपका उद्देश्य स्कूल से जुड़े अपडेट्स शेयर करना है, तो आप स्कूल के फ़ुटबॉल प्लेयर्स के उन पेरेंट्स के ग्रुप को अपनी कम्युनिटी में शामिल कर सकते हैं, जो इक्विपमेंट और ट्रेनिंग शेड्यूल्स की जानकारी शेयर करते हैं. हालाँकि, उन पेरेंट्स के ग्रुप को शामिल करने से आपकी कम्युनिटी को फ़ायदा नहीं होगा, जो किसी खास सामाजिक विषय को लेकर जुड़े होते हैं.
कुछ ग्रुप्स के सदस्य – जैसे कि क्लास ग्रुप्स – हर साल बदल सकते हैं. ऐसे मामले में, पुराने ग्रुप को हटाकर नए ग्रुप को शामिल करना ज़्यादा आसान रहेगा. अन्य ग्रुप्स, जैसे कि स्पोर्ट्स टीम्स, स्टडी या प्रोजेक्ट से जुड़े ग्रुप्स को कम अंतराल पर जोड़ना और हटाना ज़रूरी हो सकता है. पेरेंट एसोसिएशंस या नॉन-टीचिंग स्टाफ़ जैसे ग्रुप्स में ज़्यादा हलचल नहीं होती. बस इनमें समय-समय पर कुछ सदस्यों को जोड़ा और हटाया जाता है. अगर ज़्यादातर ग्रुप्स को हर साल हटाने की ज़रूरत पड़े, तो कम्युनिटी को ही डीएक्टिवेट करना और एक नई कम्युनिटी बना लेना ज़्यादा आसान हो सकता है.